Kaalidhar Laapata Movie Review अभिषेक बच्चन की दिल छू लेने वाली फिल्म, जो 100 मिनट में जिंदगी सिखा देती है”

Kaalidhar Laapata Movie Review

कालीधर लापता यह सीधा डायरेक्ट आपके घर रिलीज हुई है Zee5 OTT पे। ना तो सस्पेंस है ना ही कोई थ्रिल और ना ही 400 500 करोड़ का बजट। अभिषेक बच्चन का टोटली इमोशनल सिनेमा है जो 100 मिनट में खत्म हो जाएगा। लेकिन 100 घंटे आपके दिल में रह जाएगा। यह वादा करता हूं आपसे । ना बॉक्स ऑफिस की टेंशन, ना हिट फ्लॉप का पंगा, सिर्फ कंटेंट के दम पर अभिषेक बच्चन आपको अपना फैन बना देंगे और बड़े सितारों को जमीन पे ला देंगे।

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कहानी बस के अंदर बैठे हुए एक अजीब से आदमी के साथ शुरू होती है। कहां जाना है वो नहीं जानता। क्यों जाना है यह भी नहीं पता और सबसे कमाल की बात टिकट खरीदने का पैसा भी नहीं है। एक काला कंबल है और एक छोटा सा बैग जिसके अंदर पता नहीं कौन सा खजाना लेकर घूम रहे हैं भाई साहब।

खजाने से याद आया भैया जी बस थोड़ी देर पहले कुंभ के मेले में घूम रहे थे। तब इनके साथ पूरा परिवार हुआ करता था। पैसों का भंडार हुआ करता था। लेकिन अब जीरो पैसा नहीं तो बस से धक्का मार के निकाला जाना पक्का था। लेकिन यह हादसा दुर्घटना में बदल जाता है जब इस इंसान से भी फूटी किस्मत लेकर पैदा होने वाला कोई इससे टकरा जाता है। यह तो फिर भी कुंभ में खोए थे। जो इनके सामने खड़ा है वह तो दुनिया में अनाथ पैदा हुआ है। मां-बाप तो छोड़ो कोई ऐसा नहीं मिला जिसे यह अपना मान सके।

पूरी दुनिया ही बस की तरह है। जहां ले जाए चलते जाओ। मतलब एक खुद खो गया है। तो दूसरा वो जिसे कभी कोई ढूंढने ही नहीं आया। सोचो क्या चल रहा होगा उस इंसान के मन में जिसे एक बाहर वाला आदमी उसकी ही फोटो दिखाकर खोए हुए इंसान के बारे में पूछता है और यह खुद को वो इंसान मानने से मना कर देता है।

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बहुत सीधी बहुत सिंपल बहुत आसान फिल्म है यह। बस जो टेढ़ा है वो है फिल्म को देखते वक्त आपके मन में चलने वाला कंफ्यूजन। क्योंकि टोटली शॉक्ड रह जाओगे आप जब एक छोटे से लाइफ में पहली बार देखा हुआ चेहरा अभिषेक बच्चन जैसे एक्टर को भी अपने सामने बच्चा साबित कर देगा। किस तरीके से इस कैरेक्टर को प्रेजेंट किया गया है? सच में आपको वापस उन दिनों में ले जाएगा जब बॉलीवुड सिर्फ अच्छी फिल्में बनाता था।

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पैसे छापने की मशीन नहीं हुआ करता था। थेरेपी वगैरह पे पैसे क्यों खर्च करते हो यार? जब ऐसा सिनेमा आपको सिर्फ 100 मिनट में दोबारा अपनी जिंदगी की असली कीमत समझा सकता है। फील गुड फिल्म जरूर है यह। लेकिन एंडिंग इतनी भी प्रेडिक्टेबल नहीं है। क्योंकि इन दोनों हीरोज़ के बीच में एक सरप्राइज हीरोइन की एंट्री को लास्ट तक छुपा के रखा गया है। वहां आपको समझ आएगा कालीधर इतना भी लापता नहीं है जितना हम सोच रहे हैं।

हर पुरुष के पीछे एक औरत का हाथ है बर्बादी और सफलता दोनों में। वैसे काफी लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को डस्टबिन बोलते हैं जहां फिल्म इंडस्ट्री वाले कचरा फेंक देते हैं। बट इसी ओटीटी ने कचरे से ढूंढकर कुछ एक्टर्स को खजाना बना दिया। अभिषेक बच्चन का दूसरा जन्म हुआ है ओटीटी मूवीज में बॉबी देओल, अर्षद वारसी ये लिस्ट जितनी लंबी होती जाएगी ऑडियंस उतने ही अच्छे एक्टर्स की कीमत समझ पाएगी।

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तो बॉस कालीधर के कांड को पांच में से तीन स्टार्स मिल जाएंगे। फिल्म का फील गुड टॉपिक, दूसरा छोटे से बच्चे का कमाल का परफॉर्मेंस। तीसरा दिल को छूने वाले इमोशंस और वो हीरोइन वाला सरप्राइज़। नेगेटिव स्टोरी काफी छोटी है और हां कालीधर की घर वापसी थोड़ा तोड़फोड़ होनी चाहिए थी जैसे गदर के डायरेक्टर की फिल्म वनवास में हुआ। तो विद फैमिली देखो फिल्म सबको पसंद आएगी। 100 करोड़ का कलेक्शन नहीं 100 मिनट का इमोशन ही काफी है।

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